बांग्लादेश में भारतीय पूंजी की सुरक्षा

बांग्लादेश में राजनीतिक संकट एवं भारत-बांग्लादेश संबंधों पर इसका प्रभाव

बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता को लेकर सवाल अभी भी बने हुए हैं. साल 2009 से जब से शेख़ हसीना बांग्लादेश की सत्ता में आईं, तब से ही भारत ने वहाँ बड़े प्रोजेक्ट में निवेश किए हैं. इस पर बीडीन्यूज-14 नाम की एक वेबसाइट ने लिखा, “बांग्लादेश और जापान अपने संबंधों को व्यापार और निवेश के अलावा भी और मज़बूत करना चाहते हैं. इसमें रक्षा सहयोग के साथ मुक्त व्यापार को लेकर पहल बेहद अहम है.” बांग्लादेश ने चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन के निवेश का स्वागत तो किया ही है, लेकिन उसने भारत और जापान जैसे व्यापारिक सहयोगियों से अपनी नज़दीकी बनाए रखी है. बांग्लादेश में तख्ता पलट के दौरान हुए विरोध प्रदर्शनों के पीछे विदेशी फंडिंग की भूमिका सामने आई है.

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पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के 25 ड्रोन्स मार गिराए हैं. इसके बाद गुरुवार रात को भारत ने कहा है कि जम्मू, पठानकोट और उधमपुर के मिलिट्री स्टेशन पर पाकिस्तान ने हमला किया है, जिसे बेअसर कर दिया गया. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने हमले की बात से इनकार किया है.

वो चीनी प्रस्तावों का स्वागत तो कर रही है, लेकिन भारत और जापान जैसे एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंधों को मज़बूत बनाने की इच्छा भी खुले तौर पर जाहिर कर रही है. बांग्लादेश-भारत के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, लेकिन चीन की बढ़ती मौजूदगी के सामने ये संबंध फीके पड़ते दिख रहे हैं. गेटवे हाउस के मुताबिक़ चीन बांग्लादेश में 31 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.

निवेश मंच

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वहीं घरेलू निर्यातकों ने सोमवार को बांग्लादेश में संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि पड़ोसी देश के घटनाक्रमों का द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ेगा. निर्यातकों को हालांकि उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो सकती है. निर्यातकों के अनुसार, बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण उन्हें पहले ही वहां निर्यात में रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है. भारत की सीमा पर बांग्लादेश को निर्यात के लिए पहुंचे जल्दी खराब होने वाले सामानों को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. भारत ने पूरे साल ‘नेबरहुड फर्स्ट’ की अपनी नीति के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता को दिखाया.

विराट कोहली के मजबूत कंधों पर टिकी है भारत की उम्मीद

बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी विदेशी ताकतों के शामिल होने की बात से इनकार नहीं करतीं. ऐसा माना गया कि शेख़ हसीना जो सोचकर चीन गई थीं, वो हासिल नहीं हुआ. तुर्किए की रक्षा तकनीक तुर्किए की रक्षा तकनीक और उपकरणों जैसे ड्रोन और टैंकों की आपूर्ति, बांग्लादेश की सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकती है, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है. भारत को इस उभरते हुए समीकरण का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा और अपनी क्षेत्रीय रणनीति में बदलाव करना होगा ताकि वह इस चुनौती का सामना कर सके. अमेरिका ने अदानी से पहले भारत पर आरोप लगाया था कि भारत सरकार के एक कर्मचारी ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी नागरिक और सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की साज़िश रची थी.

ऑस्ट्रेलिया में अदानी समूह को लेकर आरोप था कि पर्यावरण से जुड़े नियमों की अनदेखी की गई थी. 2017 में ऑस्ट्रेलिया में अदानी एन्टरप्राइजेज को लेकर काफ़ी विवाद हुआ था. अदानी एन्टरप्राइजेज को ऑस्ट्रेलिया में क्वीन्सलैंड के कारमाइकल कोल माइन का कॉन्ट्रैक्ट मिलना था. यूएस अटॉर्नी ऑफिस के अनुसार, आरोप है कि 2021 और 2022 में अदानी और अन्य लोगों ने भारत में अधिकारियों से कई बार मुलाक़ात की और रिश्वत की पेशकश की ताकि पावर सेल Quotex Bangladesh समझौता हो सके. आरोप है कि रिश्वत देने के बाद ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में बिजली वितरण कंपनियां एसईसीआई के समझौते में आ गईं.

बीसीआईएम परियोजना का मकसद चारों देश के बीच आर्थिक संबंधों को विस्तार देना है. ईरान और पाकिस्तान एक-दूसरे के पड़ोसी देश हैं और दोनों देशों के बीच लंबी सीमा है. भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वे मौजूदा हालात को लेकर ‘चिंतित’ हैं. उसके बाद से बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में जो अंतरिम सरकार बनी है उसके कई मुद्दों पर भारत से मदभेद रहे हैं.

उसकी पहली झलक तो 5 अगस्त को ही दिख गई, जब संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हालात की विवेचना की. अब सबकी नजर मोहम्मद यूनुस पर है कि वो अपने अर्थशास्त्री वाले रूप में रहेंगे या खांटी राजनेता बनेंगे. यूनुस की भारत से है नाराजगीवैसे मोहम्मद यूनुस की भारत से एक नाराजगी भी है. ये नाराजगी शेख हसीना को लेकर है कि उन्हें पनाह क्यों दी गई.

  • लेकिन दो देशों के बीच आर्थिक संबंधों की कड़ी आम लोगों की जरूरतों से जुड़ी होती है, ऐसे में मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में बनी अंतरिम सरकार को द्विपक्षीय व्यापार को फिर से पटरी पर लाने के लिए जल्दी पहल करना होगी.
  • आप यह देखने की कोशिश करते हैं कि वे आपको कहां ले जा रहे हैं, या वे कहां सही नहीं हैं.
  • शेख हसीना आगे कहां रहेंगी…क्या वो फिलहाल भारत में ही रहेंगी.
  • बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बीते दिना अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की राजनीति पार्टी आवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया था.

दक्षिण एशिया की भू-राजनीति के जानकार और साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर धनंजय त्रिपाठी मानते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव पर अफ़ग़ानिस्तान को छोड़कर बाक़ी देश तटस्थ रहेंगे. अगस्त 2024 से देश में भारी अशांति के कारण बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. फरवरी में यह जानकारी मिली थी कि देश के व्यापार क्षेत्र में बड़ा संकट है, जिससे कई वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद हो रहे हैं. बांग्लादेश सरकार के कॉमर्स सलाहकार शेख़ बशीरुद्दीन ने भारत के फ़ैसले को ‘अचानक’ किया गया फ़ैसला बताया. उनका कहना है कि इससे बांग्लादेश के व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा. “लॉजिस्टिक्स में देरी और उच्च लागत के कारण हमारे अपने निर्यात में बाधा आ रही थी और बैकलॉग भी बन रहा था. इसलिए, यह सुविधा वापस ले ली गई है. लेकिन इसका भारत से होकर नेपाल और भूटान को जाने वाले बांग्लादेश के निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.”

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